पिछले तीन दिन से जम्मू कश्मीर विधानसभा सत्तारुढ़ नेशनल कांफ्रेस और विपक्षी पी डी पी के लिए अखाड़ा बनी हुई है। पहले दिन यानि परसों महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में पी डी पी विधायकों ने शोपियां में दो महिलाओं के साथ हुए बलात्कार के मामले को लेकर हंगामा खड़ा किया। महबूबा मुफ्ती विधानसभाध्यक्ष की आसंदी तक पहुंच गई उन्होंने उनका माइक तोड़ डाला। परिणामत: मार्शल के जरिए महबूबा को सदन के बाहर निकाला गया। दूसरे दिन पीडीपी के विधायक मुजफ्फर बेग ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर विधानसभा में आरोप लगाया कि उनका नाम 2006 में श्रीनगर में हुए सेक्स स्केण्डल की सूची में शामिल है। मुजफ्फर बेग के इस आरोप से उमर अब्दुल्ला तैश में आए और उन्होंने आरोप का खंडन तो किया ही साथ ही यह भी कहा कि वे राज्यपाल को अपना इस्तीफा देने जा रहे हैं। विधानसभा में ही नेशनल कांफ्रेस के विधायकों ने उमर अब्दुल्ला को राजभवन जाने और इस्तीफा देने से रोकने का नाटक किया। उमर अब्दुल्ला राजभवन पैदल गए; राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा; लेकिन उन्होंने उसे मंजूर नहीं किया। अब तीसरे दिन पीडीपी विधायक विधानसभा से लेकर श्रीनगर की सड़कों पर उमर अब्दुल्ला से इस्तीफा मांग रहे हैं। कहा जा सकता है कि उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बलात्कार और सेक्स कांड मामले में अपने लिए जन सहानुभूति बंटोरने की कोशिश की थी, उसमें उन्हें लेने के देने पड़ गए हैं। यह सही है कि विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के समर्थन से नेशनल कांफ्रेस द्वारा जम्मू कश्मीर में सरकार बना लेना पर पीडीपी नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है। ऐसा होना स्वाभाविक भी है; क्योंकि पिछली विधानसभा में कांग्रेस और पीडीपी की मिली जुली सरकारें थीं यह बात दूसरी है कि पिछले साल इन्हीं दिनों अमरनाथ श्राईन बोर्ड की भूमि दिए जाने के मामले पर पीडीपी और कांग्रेस का गठबंधन टूट गया था और मुख्यमंत्री गुलाम नवी आजाद को इस्तीफा देना पड़ा था। अब जब से जम्मू कश्मीर में नेकां कांग्रेस की सरकार बनी है पीडीपी इस सरकार को गिराने के लिए कोई न कोई मुद्दा उठाकर हंगामा खड़ा कर रही है। वैसे उमर अब्दुल्ला ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का नाटक कर महबूबा मफ्ती के नहले पर दहला मारने की कोशिश की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। वैसे उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा से महबूबा मुफ्ती के हाथ पांव तो फूल गए थे; लेकिन श्रीनगर से नई दिल्ली तक सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से रोकने, राज्यपाल को इस्तीफा न स्वीकारने के दिए गए संकतों ने महबूबा मुफ्ती को सबसे बड़ी राहत दे दी। वैसे विधानसभाध्यक्ष द्वारा सीबीआई प्रमुख से श्रीनगर सेक्स कांड में उमर अब्दुल्ला के शामिल होने के बारे में ली गई सफाई ने उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे को नाटक में बदल दिया। बेशक जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की सरकार तो बच गई; लेकिन इस सरकार का नैतिक बल निकल चुका है। जिस तरह से तीसरे दिन पीडीपी के विधायकों ने विधानसभा और कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर की सड़कों पर हंगामा खड़ा किया है उससे साफ है कि लोकप्रियता की इस जंग में उमर अब्दुल्ला से आगे निकलने की कोशिश महबूबा मुफ्ती कर रही हैं।
~ संपादक
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