शनिवार, 4 अप्रैल 2009

चुनावी संग्राम में जनता



इस बार चुनाव का हाल निराला है
प्रचार-प्रसार पर रख कर नज़र
चुनाव आयोग ने सबको धो डाला है
चुनावी माहौल में जुट गए पार्टियों के नेता
फिर चुप क्यों बैठे हमारे अभिनेता
वो भी शुरू हो गए इस चुनावी महा संग्राम में
नेता बन गए तो ठीक नही तो मस्त है अपने काम में
चारो तरफ़ यात्राओं के माहौल में
हाथी, साइकिल, पंजा और कमल का फूल है
प्रचार की सभाओं में भीड़ की धूल है
अपने अपने वादों में नेताओं की होड़ है
नाते रिश्ते छोड़ के अब तो वोटो की दोड़ है
कैसे भी मिल जाए हमें संसद की ये सत्ता
कुछ भी करना पड़ जाए कोई फर्क नही अलबत्ता
हद में रहकर बोल रहे है अबतो सारे नेता
जाने किस गलती पर खा जाए उन्हें आचार संहिता
इन सब में मतदाता का हर हाल बेहाला है
इस बार चुनाव का हाल है निराला है

'निर्भय'

1 टिप्पणियाँ:

दिल दुखता है... ने कहा…

badiya prastuti hai....

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