बुधवार, 13 मई 2009

काश दुनिया कंप्यूटर होती


का दुनिया कंप्यूटर होती
जिसमें डू को अन्डू करते

सुख के लम्हे सेव हो जाते
दुःख के लम्हे डिलीट कर देते

मर्ज़ी की मनचाही विन्डोज़
जब चाहे हम ओपन करते

जीवन के ये ताने बने
अपनी इच्छा से ख़ुद ही बनाते

ख्वाहिसों की होती फाइल
जिसमें कट और कॉपी करते

जब भी होती आतंकी वायरस पीडा
दुनिया को रिफोर्मेट करते

खुशियों के रगों को लेकर
फीके लम्हे रंगीन करते

काश दुनिया कंप्यूटर होती
तो मज़े मज़े मैं दुनिया जीते

काश दुनिया कंप्यूटर होती

-निर्भय जैन

2 टिप्पणियाँ:

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर ने कहा…

बहुत सुन्दर

आभार

मुम्बई टाईगर

हे प्रभु यह तेरापन्थ

संगीता पुरी ने कहा…

जो चीज ढूंढे से नहीं मिलती ,
तो तुरंत उसे सर्च कर लेते।
काश दुनिया कंप्‍यूटर होती ,
तो मज़े मज़े मैं दुनिया जीते।

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