शनिवार, 4 अप्रैल 2009

माँ का दर्द


माँ का दर्द तो माँ ही जाने
माया तू क्या जानेगी
बेटे को तो फसा दिया है
अब कब तू मानेगी
माँ को बेटे से दूर करके
तू कब तक बच पायेगी
माँ का दर्द तो माँ ही जाने
माया तू क्या जानेगी
रासुका को बना खिलौना
तानाशाही चलाएगी
जिस दिन हाथी गया हाथ से
दूर खड़ी चिल्लाएगी
माँ का दर्द तो माँ ही जाने
माया तू क्या जानेगी

'निर्भय'

2 टिप्पणियाँ:

समयचक्र ने कहा…

बहुत बढ़िया है. आभार

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बढिया ... बधाई।

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