ग्वालियर अंचल की बदहाल कानून व्यवस्था में लूटेरों व हत्यारों के हौसले काफी बुलंद हो चुके हंै क्या घर क्या सड़क क्या सफर कहीं भी कोई सुरक्षित नहीं है सुबह की सैर व शाम की बाजार की खरीदारी भी खतरों के बीच हो रही है। राह चलती महिलाओं के गले से चैन लूटने की दर्जन भर से अधिक वारदात हो चुकी हैं एक महीने के भीतर शहर के दो प्रतिष्ठिïत व्यापारियों को गोली मार दी गई। खुलेआम कहर बरसा रहें हत्यारों व लुटेरों को रोकने व दबोचने के लिए पुलिस के पास कुछ रह नहीं गया है ऐसा लगता है कि शहर ही नहीं अंचल से भी पुलिस का नाम गायब हो गया है। पिछले माह गोहद विधायक की चुनाव प्रचार के दौरान गोली मारकर हत्या के बाद से तो ऐसा लगा कि हम कहीं बिहार की ओर तो नहीं बढ़ रहे है तब तर्क दिए गए
कि हत्या आपसी रंजिश का नतीजा है आपसी रंजिश कहकर अपना बचाव करने वाली पुलिस आज तक यह सिद्घ नहीं कर सकी है कि विधायक माखन जाटव की हत्या की वजह क्या है। ठीक इसके उलट अंचल की पुलिस की बहादुरी देखिए अवैध रूप से गौवंश की तस्करी कर ला रहे लोगों के खिलाफ आवाज उठाने वाले गौभक्तों को भिण्ड पुलिस ने इतनी बेरहमी से पीटा कि गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। ग्वालियर अंचल को कुछ साल पहले तक शांतिपूर्ण क्षेत्र माना जाता था लेकिन पिछले कुछ माह में यहां सरेराह व घर में घुसकर लूटों व हत्याओं से जनमानस में भीतर तक डर व दहशत बैठ गई है इसे दूर करने के लिए कुछ करने की बजाय अंचल की पुलिस अधिकारी जांच के नाम पर एक दूसरे को नीचा दिखाने तथा श्रेय लेने की होड़ में लगे हुए हैं। विधायक की हत्या की जांच का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पुलिस अभी तक हत्या का कारण भी पता नहीं कर सकी है और न ही आरोपियों से जुर्म कबूल करवा सकी है। जुर्म कबूल करबाने आरोपियों का नार्को टेस्ट कराने अहमदाबाद ले गई मगर वहां से भी बिना टेस्ट के ही आरोपियों को वापस ले आई। जब विधायक की हत्या के मामले में पुलिस की यह कार्यशैली है तब आम जनता के साथ क्या हो रहा है वह लिखने की जरूरत नहीं है। मई में शहर के दो प्रतिष्ठिïत व्यवसाईयों की गोली मार कर हत्या के मामले में पुलिस से बहुत उम्मीद लगाना कोरी नासमझी ही साबित होगी। कारण जो अधिकारी यहां पदस्थ है उनका ध्यान व नजरें बढ़ते अपराधों पर न होकर कमाई कैसे बढ़ाई जाए इस पर है। माह के प्रारंभ में तेल कारोबारी सेवकराम खत्री की लूट के बाद हत्या के मामले में स्थानीय मंत्री की फटकार के बाद शहर पुलिस ने जो पर्दाफास किया वह राह चलते आदमी के भी गले नही उतर रहा। जिस व्यापारी से साढ़े सात लाख की लूट हुई उसके लुटेरों से पुलिस मात्र 6 हजार ही बरामद कर सकी। लगता है मंत्री की चेतावनी को बेअसर करने के लिए पुलिस ने यह तरकीब निकाली और पर्दाफास की घोषणा कर दी। लेकिन हत्या के लगभग एक माह बाद पुलिस सिवाय आश्वासनों के कुछ भी परिणाम नहीं दे पा रही है। कल की घटना ने तो पूरे शहर को जैसे सन्निपात की स्थिति में ला दिया जिसने सुना वहीं दंग रह गया कि आखिर हम कहां सुरक्षित रह सकते हैं यह सवाल सबकी जुबां पर है। हत्याओं के अलावा घर में घुसकर लूटों व राह चलती महिलाओं के गले से चैन छीनने की घटनाओं ने पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी डर व भय के गहरे सदमे में जीने को मजबूर कर दिया। शहर व अंचल को लूटेरों व हत्यारों के आतंक से निजात दिलाने में नाकाम रहने वाले नाकारा पुलिस अधिकारी आखिर यहां पदस्थ क्यों है यह सवाल हर नागरिक जनप्रतिनिधियों व शहर के मंत्रियों से पूछ रहा है। इसे ग्वालियर व अंचल का दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहा जाए कि प्रदेश के गृहराज्यमंत्री इसी शहर के है लेकिन वर्तमान में प्रदेश में सबसे खराब कानून व्यवस्था उन्हीं के शहर की हैं। आखिर क्यों ऐसे अधिकारियों को बर्दाश्त किया जा रहा है। हर नागरिक दो साल पहले के दबंग पुलिस अधिकारी के जैसे अधिकारियों की यहां तैनाती चाह रहा है जो शहरवासियों व अंचलवासियों को सुरक्षा प्रदान कर सके तथा जनता महसूस कर सके कि राज्य शासन की सुशासन की मंशा के अनुरूप काम नहीं करने वाले पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को कैसे ठीक किया जा सकता हैं।
-संपादक

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